Bihar board class 10 th Hindi रचना निबंध लेखन

जंगल

भूमिका : जंगल हमारे धरोहर हैं । प्राचीन काल में इन्होंने सभी जीवों को आश्रय , भोजन , एवं पर्यावरण प्रदान किया । 

जंगल का महत्व : जंगलों का धरती पर महत्वपूर्ण योगदान है । जंगल पर्यावरण को सुरक्षित रखते हैं । वन्य जीवों के आश्रय स्थल हैं । इमारती एवं जलावन की लकड़ी ये प्रदान करते हैं । दूर्लभ जड़ी बुटियाँ जंगलों में पाई जाती हैं ।

जंगल से लाभ : जंगली जीव , उत्पाद हमारे अर्थोपार्जन के स्त्रोत हैं । जंगल जीवों के वास स्थल हैं । कई प्रकार के दूर्लभ जीव – जातियों को इन्होंने संरक्षित किया है । जंगल वर्षा लाने में सहायक हैं । हरे पौधे हमें भोजन फल प्रदान करते हैं । ये ऑक्सीजन छोड़ते हैं जिससे पर्यावरण संरक्षित एवं सुरक्षित रहता है । 

जंगलों की अंधाधुंध कटाई से हानि : आज हम जंगलों की अंधाधुंध कटाई कर अपने लाभ की पूर्ति तो कर रहे हैं किंतु वह दिन दूर नहीं जब धरती प्रदूषित हो जाएगी । जलस्तर बढ़ जाएगा । वैश्विक तापन बढ़ जाएगा । तब ध रती बंजर हो जाएगी । मानव सभ्यता विहिन हो जाएगी । अतः वनों को लगाना जरूरी है ।

उपसंहार : वन हमें स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करते हैं । प्रकाश संश्लेषण द्वारा 02 प्राप्त करते हैं । फल , फूल एवं मेवा प्रदान करते हैं । घर बनाने के उपस्कर हेतु लकड़ी प्रदान करते हैं । अतः इनको बचाना हमारा परम कर्तव्य है ।

हमारे पड़ोसी 

भूमिका : पास – पड़ोस के वैसे लोग जिनसे हमारा नजदीक का संबंध होता है पड़ोसी कहलाते हैं । पड़ोसी हमें अकेला नहीं छोड़ते । अतः इनके साथ मधुर एवं सही संबंध रखना जरूरी है । 

सम्पन्न पड़ोसी :कुछ पड़ोसी धनी होते हैं । ये थोड़ा घमंडी होते हैं । किंतु इन्हे भी हमें कद्र करनी चाहिए । धन आता – जाता है , संबंध के साथ ऐसी बात नहीं है । 

गरीब पड़ोसी :गरीब पड़ोसी दूसरे की भलाई एवं दुखों में साथ निभाते हैं । उन्हें जीवन की सरलता पसंद होती है । ऐसे पड़ोसी विनम्र एवं सहायक गुण वाले होते हैं । हमारा कर्तव्य अमीर या गरीब कैसा भी पड़ोसी हो , हमें इनसे अच्छे संबंध रखने चाहिए । आपसी सौहार्द्र की भावना जीवित रखनी चाहिए । एक – दूसरे की मदद करनी चाहिए । मैं ऐसा ही करता हूँ । यही मेरा कर्त्तव्य है । 

उपसंहार :अकेला मनुष्य कुछ नहीं है । अतः मनोरंजन , सहयोग , सेवा , साथ के लिए पड़ोसी का जीवन में बहुमूल्य योगदान है । हमें अपने पड़ोसियों से अच्छे संबंध रखना चाहिए ।

भ्रष्टाचार

भूमिका: भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट आचरण । भ्रष्टाचारी व्यक्ति परिवार , समाज के लिए कलंक होता है । आज के समय में भ्रष्टाचार ‘ वैश्विक समस्या ‘ बन गया है । 

भ्रष्टाचार के कारण :हमारी भोग लिप्सा और ज्यादा से ज्यादा अर्थ संग्रह भ्रष्टाचार का मूल कारण है । ज्यादा से ज्यादा सुख – संपत्ति की भूख सभी , अनैतिक कार्य करने को मजबूर करती है । शिक्षा , व्यापार , राजनीति , खेल – कूद , शासन व्यवस्था एवं शिक्षा कुछ भी अछूता नहीं रहा । 

भ्रष्टाचार का स्वरूप : विद्यार्थी परीक्षा में नकल करते हैं , कार्यालय के बाबू घूस लेते हैं , आला अधिकारी गलत काम करते हैं । भ्रष्टाचार ही वर्तमान सभा में शिष्टाचार बन गया है ।

भ्रष्टाचार के निवारण के उपय : भ्रष्टाचार से बचने के लिए नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना होगा । स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज , देश और विश्व की चिन्ता करनी होगी । भौतिक ऐश्वर्य और भोगवाद से हटकर समाज – सेवा और मानव कल्याण की भावना जाग्रत करनी होगी । भ्रष्टाचार का आधार स्वार्थ और धनलिप्सा होता है हमें राष्ट्र के प्रति अपनी जवाबदेही पैदा करनी होगी । जबतक हमारे भीतर राष्ट्रप्रेम और मानव – कल्याण का भाव नहीं पैदा होगा , जबतक भ्रष्टाचार नहीं पिटेगा । धर्म में आस्था रखते हुए ईश्वर के प्रति जवाबदेही समझनी होगी । पाप – पुण्य में अन्तर करना होगा । 

निष्कर्ष : इस प्रकार समाज के लिए भ्रष्टाचार कलंक है । इस कलंक की मुक्ति के लिए आत्मानुशासन , जिम्मेदारी और वफादारी का भाव रखना होगा । यह लड़ाई घर से शुरू करनी पड़ेगी और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जारी रखनी होगी । भ्रष्टाचार से मुक्ति हमारा राष्ट्रीय संकल्प बनकर उभरे , यही हमारी मंगल कामना है ।

गरीबी 

भूमिका : भोजन , वस्त्र और आवास की समस्या से जूझना ही गरीबी जून की रोटी की जुगाड़ ही गरीबी है । अधूरे सपने लेकर जीवन – पर्यन्त गरीबी से लड़ते हुए मौत के मुँह में समा जाना गरीबी है । 

गरीबी के कारण : हमारे देश में जन – जाति , गरीबी की श्रेणी में आते हैं । बिहार , झारखण्ड , उड़ीसा , मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ , उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में देश के लगभग 60 प्रतिशत लोग गरीबी की मार झेलने को मजबूर हैं । इसका मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या दर , निरक्षरता , खराब स्वास्थ्य और वित्तीय संसाधनों की कमी तथा अशिक्षा । गरीबी के कारण ही प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय में कमी आई है । पूरे दिन मेहनत करने वाले कारीगरों की दैनिक मजदूरी बहुत कम हो उस पर दलालों की गौद्ध – दृष्टि उनके मुँह का निवाला भी छिनने में नहीं शर्माती ।

गरीबी उन्मूलन के उपाय : गरीबी को मिटाने के लिए सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार निःशुल्क शिक्षा , कौशल विकास केन्द्र खोलकर तकनीकि शिक्षा की रोजगार परक व्यवस्था की है । मनरेगा द्वारा लोगों का आय बढ़ाई जा रही है । शौचालयों एवं बिजली – पानी निःशुल्क मुहैया कराई जा रही है । गाँव – शहर की दूरी सड़कों द्वारा आसान हो गई है । ‘ आशा ‘ कार्यकर्ता एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता , गैर सरकारी संस्थाएँ भी सहयोग कर रही हैं ।

 निष्कर्ष : मानव – जीवन को सम्मान से जीने के लिए रोटी , कपडा , मकान , स्वास्थ्य एवं शिक्षा – मूलभूत आवश्यकताएँ बन गयी हैं । धीरे – धीरे गरीबों का जीवन – स्तर सुधर रहा है । हमारी सरकार की पूरी कोशिश है जनता को गरीबी जैसे अभिशाप से मुक्ति मिले ।

संचार क्रांति 

भूमिका :प्रगति के पथ पर मानव बहुत दूर चला आया है । आज संसार मानव की मुट्ठी में समाया है । जीवन के क्षेत्रों में सबसे अधिक क्रांतिकारी कदम ‘ संचार ‘ के क्षेत्रों में उठाए गए हैं । 

संचार क्रांति का स्वरूप :संचार साधनों में सबसे अहम् भूमिका ‘ इन्टरनेट ‘ की है । इसकी शुरूआत 1969 में एडवान रिचर्स प्रोजेन्टस एजेंसिज द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटरों की नेटवर्किंग कर की गई ।

संचार क्रांति से लाभ : 1971 तक इस कम्पनी ने लगभग दो दर्जन कम्प्यूटरों को इस नेट से जोड़ दिया । 1972 में ई – मेल की शुरूआत हुई जिसने ‘ संचार – जगत ‘ में क्रांति ला दी । इसका उपयोग तेजी से हमलोग फेस बुक , व्हाट्सएप , इन्स्टाग्राम , विडियो कॉलिंग , चेटिंग कर सकते हैं । 

संचार क्रांति से हानि : सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ‘ गूगल ‘ सर्च के द्वारा जीवनोपयोगी कोई भी सवाल का उत्तर जान सकते हैं । धीरे – धीरे इन्टरनेट के क्षेत्र में भूचाल आ गया । 1994 में नेट स्कैप कम्यूनिकेशन और 1995 में ‘ माइक्रोसॉफ्ट ‘ के ब्राउजर बाजार में उपलब्ध हो गए । लगभग 05 करोड़ लोगों ने इन्टरनेट का प्रयोग शुरू कर दिया है । दिन – प्रतिदिन संचार माध्यम के नए – नए रास्ते खुलते गए । नई – नई शब्दावलियाँ जैसे ई – मेल , बेबसाइट , वायरस , लवबग आदि इससे जुड़ते गए । अब तो लोग मोबाइल में ही लगे रहते हैं पढ़ाई न कर पाते । बड़ी दुर्घटना मोबाइल पर वयस्त रहने के कारण बढ़ गई है । बच्चे मोबाइल के चक्कर में पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे रहे हैं । कुछ जाहिल लोग मोबाइल पर धमकी भी देने लगे हैं । 

निष्कर्ष : अब तो ऐसा लगता है कि रोटी , कपड़ा , मकान की तरह .. इन्टरनेट भी जीवन के लिए उपयोगी हो गया । इसके अभाव में हम अपने आप को अपाहिज , समझने लगते हैं ।

अनुशासन 

भूमिका : अनुशासन का अर्थ है – व्यवस्था , क्रम और आत्म – नियंत्रण | यह एक ऐसा गुण है जो समय की बचत करता है , धन और शक्ति का अपव्यय रोकता है तथा अतिरिक्त बल पैदा करता है । अनुशासन का मानव जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है 

अनुशासन का  महत्व :सिनेमा की टिकट खिड़की या बस पर चढ़ने वाले यात्रियों को लें । अधिकांशतः बस पर चढ़ने वाले यात्रियों में धक्का – मुक्की होती है । कभी – कभी एकाध खरोंच भी आ जाती है । यदि बस पर चढ़ने का कार्य अनुशासन से हो जाए तो सभी बस में बैठ जाएँगे और धक्का – मुक्की से उत्पन्न समस्याएँ भी नहीं पैदा होंगी । 

अनुशासनहीनता के दुष्प्रभाव :अनुशासनहीनता के दुष्प्रभाव अनादि काल से ही देखने को मिलता है । महाभारत का युद्ध , राम – रावण युद्ध , जापान पर अणुबम का प्रयोग सब अनुशासन की मर्यादा भूलने के परिणाम हैं । दैनिक जीवन में यदि हम अनुशासित नहीं रहेंगें तो हमें असफलता का सामना करना पड़ेगा । यदि अनुशासन न पालन किया जाए तो सामाजिक ताना बाना गड़बड़ हो जाएगा । पारिवारिक माहौल बिगड़ जाएगा । ग्रह एवं तारे भी अनुशासन नियम का पालन कर दिन – रात में परिवर्तित होता है । अनुशासन से संयम आता है तथा सभ्यता का प्रारंभ होता है । आज की नवीन सभ्यता अनुशासन का ही देन है । ग्रामीण सभ्यता में कोई रहन – सहन का व्यवस्थित तरीका नहीं , बोल – चाल में अनुशासन नहीं , इसलिए वे पिछड़ जाते हैं । दूसरी ओर शहरी सभ्यता में हर चीज की एक व्यवस्था है , बोलने का , कार्य करने में एक नियमित क्रम है , इसलिए आज उसका आकर्षण है । 

निष्कर्ष : मुट्ठी भर अंग्रेजों ने विशाल भारत को किस प्रकार गुलाम बनाया ? निश्चय ही अनुशासन के बल पर । अनुशासन से शक्तियों का केंद्रीकरण होता है , गतिशील ऊर्जा का जन्म होता है तथा जीवन सहज , सरल और सुंदर बन जाता है ।

भ्रमण का महत्व 

भूमिका: किसी कवि ने ठीक ही कहा है कि प्रातः काल सैर करने से स्वास्थ्य सुधरता है । प्रातः काल उठने के लिए रात को शीघ्र सो जाना चाहिए । Early to bed and early to rise ‘ का सिद्धान्त अपनाना चाहिए । गाँव में रहने वाले लागों को प्रकृति की स्वच्छ हवा आसानी से मिल जाती है । परन्तु महानगरों में कल – कारखानों की अधिकता और मोटरकारों का धुंआ दिनभर वायुमंडल को प्रदूषित करता रहता है । स्वच्छ , सुगंधित , शीतल वायु का सेवन हम प्रातः काल ही कर सकते हैं । प्रातः काल घूमने की आदत बहुत अच्छी होती है । 

भ्रमण का महत्त्व: प्रातः कालीन भ्रमण के अनेक लाभ हैं । सबसे पहला लाभ यह है कि प्रातः काल शीघ्र उठने से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है । प्रातः कालीन शीतल वायु फेफड़ों के लिए बहुत अच्छी होती है । इससे स्मरण शक्ति तीव्र होती है । घूमने – फिरने से शरीर में एक नई चेतना उत्पन्न होती है । शरीर स्वस्थ्य एवं मन प्रसन्न बना रहता है । ब्लड प्रेशर , सुगर आदि बिमारियों पर नियंत्रण रहता है । 

भ्रमण का शैक्षिक महत्व :पार्क में अनेक लोग सामूहिक योगासन करते हुए देखे जाते हैं । कहीं युवा छात्र फुटबॉल या बालीबॉल खेलते हैं । स्त्रि आसन करती दिखाई देती हैं तो कहीं वृद्धजनों की टोली भगवान का कीर्तन करने में संलग्न दिखाई देती है । ये सब कार्य भ्रमण के महत्व हैं । छात्रों को ऐतिहासिक महत्व वाले स्थानों का भ्रमण करने से इतिहास , भूगोल , समाज शास्त्र की जानकारी प्राप्त होती है । भारतवर्ष की पुरानी गरिमा के बारे में जानकारी मिलती है । राज्य सरकार ने छात्रों को शैक्षणिक भ्रमण हेतु सभी विद्यालयों में फंड प्रदान कर रखा है ।

निष्कर्ष : पार्क में लोग विभिन्न प्रकार के व्यायाम करते मिलते हैं । वे कभी कबड्डी मैच खेलते हैं । कभी लाठी चलाने का अभ्यास करते हैं । भ्रमण करने से ज्ञान – विज्ञान में वृद्धि होती है । रोचक सूचनाएँ प्राप्त होती हैं । तत्कालिन व्यवस्था का पता चलता है । ऐतिहासिक , भौगोलिक एवं स्थापत्य कला के विकास का पता चलता है । अतः भ्रमण अनिवार्य है ।

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